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सर्दी (शीत) से जूझने के लिए विश्राम करेँ

हमारा सुक्ष्म (µ) योगदान, स्वस्थ दुनिया के लिए!

कभी :

  • आपको ऐसा आभास होता है कि आपको छीँक आने वाली है,
  • आपके गले मेँ खराश (खिच-२) लगने लग सकती है, और
  • आपकी नाक बहना शुरू हो सकती है।

ऐसे मे संभव है कि आप सर्दी/शीत से पीड़ित होने वाले हो।

यदि आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको किसी स्वास्थ कर्मी से सलाह लेना चाहिए।

इस लेख मेँ, हम देखेंगेँ कि जब आपको लगे कि आप शीत से ग्रसित होने वाले हैँ, तो आपने अपने शरीर की रक्षा-प्रणाली को सुधारने का प्रयास करने से लेकर लक्षणोँ का सामना करने (जूझने) के लिए क्या करना चाहिए।

साधारण सर्दी के लक्षण विभिन्न वायरसोँ द्वारा जनित हो सकते हैँ। सैकड़ोँ ऐसे वायरसोँ को शीत/सर्दी का कारण बनने के लिए पहचाना गया है। शीत/सर्दी से जुड़ा सबसे आम वायरस राइनोवायरस (rhinovirus) है।

शीत/सर्दी सामान्यत: इन्फ्लुएंजा (फ्लू) से कम कष्टकारक/पीड़ादायक होती है। 'फ्लू' इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है। दशकोँ पहले, स्वास्थ्य विषेशज्ञ किसी को सर्दी है या फ्लू इसका विचार (निदान) करते थे। २०१९ से पहले, अन्य वायरस जनित संक्रमणोँ की चिंता होती थी, जैसे कि स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू। २०२० के प्रारंभ से २०२१ तक, दुनिया ने एक नई कोविड-19 (COVID-19) नामक महामारी का सामना किया। इसका कारण एक नया (novel) कोरोना वायरस था, जिसका नाम सार्स-कोव-२ (SARS-CoV-2) रखा गया। कोविड-19 के कुछ लक्षण सर्दी और फ्लू के लक्षणोँ के साथ मेल खाते हैँ।

जिंक (Zinc) नामक तत्व को दवा (पूरक/सप्लीमेंट) के रूप मेँ खाने से शीत/सर्दी से ग्रसित होने की संभावनाएँ कम नहीँ होती है। पर, यदि लक्षणोँ की शुरुआत के २४ घंटे के भीतर जिंक लिया जाए, तो यह शीत के लक्षणोँ की अवधि और पीड़ा को कम कर सकता है। कुछ लोग विटमिन-सी भी लेते हैँ।
विटमिन-डी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, और इसकी कमी को श्वसन-प्रणाली मेँ संक्रमण (इन्फेक्शन) होने की अधिक संभावना से जोड़ा गया है। पर सर्दी की आहट (आरंभ) मेँ विटमिन डी3 लेने से कोई तात्कालिक लाभ नहीँ होता! विटामिन डी के पर्याप्त स्तर को सदैव बनाए रखना चाहिए, जिससे समग्र रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।

कभी-कभी, एलर्जी के लक्षण सर्दी के लक्षणोँ का संदेह (नकल) उत्पन्न कर सकते हैँ। 'एंटीहिस्टामिन्स' (antihistamines) प्रकार की दवाएँ एलर्जी के लक्षणोँ को दूर करने मेँ प्रभावी होती हैँ। कुछ सर्दी की दवाओँ मेँ भी 'एंटीहिस्टामीन्स' होते हैँ जो छीँकने और बहती नाक को रोकने मेँ सहयक होते हैँ।

कुछ दवाएँ 'डीकन्जेस्टेंट्स' (अवरोध-नाशक; decongestants) कहलाती हैँ जो आपकी बंद नाक को खोलने व अच्छा अनुभव कराने मेँ सहायक होती हैँ। हमेशा दवा की डब्बी पर दिए गए निर्देशोँ का पालन करेँ और यदि आप को कोई संदेह है, तो किसी चिकित्सा कर्मी से पूछेँ।

सामान्यत:

  • आपको कभी-कभी गले मेँ खराश, बुखार, सिरदर्द, आदि जैसे अन्य लक्षण हो सकते हैँ।
  • नाक के एक नथुने का दूसरे नथुने से अधिक बंद होना सामान्य है।
  • साइनस जो नाक और आँखोँ के आसपास की हड्डी मेँ खाली जगह (गुहा) होते हैँ, सर्दी के लक्षणोँ को बढ़ा सकते है।

मनुष्य की खोपड़ी की हड्डी मेँ खोखली (खाली) जगहेँ होती हैँ जिन्हेँ साइनस कहा जाता है। साइनस माथे, नाक की हड्डियोँ, गालोँ और आँखोँ के पीछे स्थित होते हैँ। स्वस्थ साइनस मेँ कोई बैक्टीरिया या कीटाणु नहीँ होते हैँ। आमतौर पर, श्लेष्मा साइनस से बाहर बह जाती है और हवा निर्बाध आती जाती है।

दर्द निवारण के लिए, आसानी से उपलब्ध पैरासिटामॉल (Paracetamol) या एनएसएआईडी (NSAIDs = नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लैमेटरी ड्रग्स; उदा. Ibuprofen) जैसी दवाएँ उपयोगी हो सकती हैँ। हालांकि, एनएसएआईडी लेने से पहले एक डॉक्टर या फार्मासिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैँ, गर्भवती हैँ या स्तनपान करा रही हैँ, या कोई और स्वास्थ्य समस्या है, या फिर किसी बच्चे के लिए दर्द निवारक दवा की आवश्यकता है।

साधारण सर्दी मेँ एंटीबायोटिक्स कारगर नहीँ होते हैँ, क्योँकि यह एक वाइरल संक्रमण है, बैक्टीरियल नहीँ।

औसतन एक वयस्क प्रतिवर्ष दो से तीन शीत/सर्दियोँ का प्रकोप झेलता है, जबकि एक बच्चे को चार से अधिक बार सर्दी हो सकती है। सर्दी/शीत होने की संभावना ठंड या जाड़े के महिनोँ मेँ अधिक होती है।

आपको सभी निम्नलिखित सलाहोँ का पालन करने की आवश्यकता नहीँ है, क्योँकि शायद आपके पास यह सभी सामग्री न हो।

क्या करेँ:

  • सामान्य से अधिक आराम (विश्राम) करेँ, इससे आपका शरीर सर्दी से लड़ने के लिए संरक्षित ऊर्जा का उपयोग कर पाएगा।
  • अपनी खुली नाक (नथुने) को बंद कर 'बंद' नाक को छिनकने का थोड़ा प्रयास करेँ। यदि आप बंद नाक को सरलता से नहीँ सहन कर पा रहेँ हैँ, तो किसी चिकित्सक से एक डीकन्जेस्टेंट नॅसल ड्रॉप के लिए सलाह लेँ।
    अधिकतर, जब हम अपनी नाक को श्लेष्मा (बलगम) से 'भरी' हुई अनुभव करते हैँ, तो वह वास्तव मेँ 'अवरोधित' होती है। नथुनोँ मेँ हवा के मार्ग मेँ रक्त वाहिकाएँ सूजकर फूल जाती हैँ तथा मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
  • कप या कटोरी भर गरम पानी या तरल पदार्थों को कई बार पिएँ (वयस्कोँ के लिए एक दिन मेँ कम से कम ५-६ गिलास या १.५ लीटर; यह बलगम/श्लेष्मा को सुखने से रोकता है)।
  • सिर और गर्दन को ढकने के लिए गमछा/दुपट्टा आदि पहनेँ।
  • ४-५ बार आधा कप हरी चाय या काड़ा पिएँ (लौंग, लहसुन और अदरक के टुकड़ोँ के साथ १ गिलास पानी उबालेँ, हरी चाय के १ या २ बैग डालेँ और इसे थर्मस फ्लास्क मेँ रखेँ)।
  • अगर गले मेँ खराश है, तो गरारे के लिए गरम नमक वाले पानी का उपयोग करेँ। बीमार बच्चोँ को गरारा करना नहीँ सिखाया जाना चाहिए।
  • ऐसे क्षेत्र या कमरे मेँ विश्राम करेँ जो थोड़ा हवादार तो हो लेकिन ठंडा न हो।
  • उबलते पानी की भाप को साँस मेँ लेँ।
  • माथे, गले, नाक, छाती आदि पर थोड़ा सा बाम लगाएँ।
  • बिस्तर पर लेटते समय बंद नाक को उपर की ओर रखेँ, बाएँ या दाएँ करवट ले कर।
  • यदि आप थकान और गर्माहट का अनुभव नहीँ कर रहे हैँ तो रक्त संचार मेँ मदद करने के लिए थोड़ा सा (हल्का) व्यायाम (योग) कर सकते हैँ।
  • नीलगिरी, या सिरका जैसे तेलोँ की सुगंध लेँ/सुँघेँ।
  • हल्दी पाउडर के धुएँ (जिसे भारत मेँ धूनी कहा जाता है) को साँस मेँ लेँ।

ऊपर दी गई किसी सलाह का पालन करने के पहले एक मित्रवत चिकित्सक से चर्चा करेँ और किसी सलाह को पहली बार आजमाने पर सतर्क रहेँ। छोटे कदमोँ से शुरू करेँ। किसी भी उक्त सलाह (अनुशंसा) का पालन किसी स्वस्थ और देखभाली व्यक्ति की उपस्थिती मेँ करेँ।

क्या नहीँ करना चाहिए:

  • 'बंद' नाक को जोर से छिनकने का प्रयास न करेँ से (क्योँकि इससे कान मेँ दर्द हो सकता है)।
  • सीधी और ठंडी हवा के प्रवाह के नीचे सोने या लेटने से बचेँ (एयर कूलर्स, फैन्स, आदि के)।
  • अत्यधिक श्रम, परिश्रम, या तनाव से बचेँ।
  • ठंडे पानी से स्नान करने से बचेँ।
  • नहाने के बाद अपने बालोँ (और शरीर) को गीला नहीँ रहने देँ।
  • अत्यधिक गर्मी से दूर रहेँ (शरीर मेँ तरलता बचाने के लिए)।
  • धूम्रपान न करेँ।
  • शराब का सेवन न करेँ।

बचेँ:

  • कार्यालय, स्कूल, या भीड़भाड़ वाली जगहोँ पर जाने से बचेँ।
  • कपोँ (या बाम बोतलोँ!) और बर्तनोँ का साझा उपयोग न करेँ।
  • तैलीय भोजन की मात्रा को कम रखेँ।

कुछ इलेक्ट्रिक स्टीम इनहेलर्स (भाप लेने की मशीन) उपलब्ध हैँ। उनमेँ से उसका चयन करेँ जो कम शक्तिशाली हो क्योँकि आप उसका उपयोग अधिक समय तक कर सकते हैँ!

यदि आपको ठंड लग रही हो तो आप [इलेक्ट्रिक] हीटर्स (ताप यंत्र) का इस्तेमाल कर सकते हैँ। बहुत से लोगोँ के लिए जो भूमध्य रेखा के पास रहते हैँ, २३°C (degree Celsius; डिग्री सेल्सियस) से कम कमरे का तापमान सुखद नहीँ होता है! यदि आप भूमध्य रेखा से दूर रहते हैँ तो भी आप शीत/सर्दी से पीड़ित होने पर कमरे के तापमान को १८°C से अधिक बनाएँ रखेँ। उन गरमाहट देने वाले साधनोँ (जैसे सिगड़ी, चूल्हा आदि) का उपयोग न करेँ जो CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्पन्न करते हैँ।

यदि आपके घर की हवा बहुत सूखी है, तो इससे आपकी सर्दी के लक्षण बढ़ सकते हैँ। आप एक ह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग कर हवा मेँ नमी बढ़ा सकते हैँ। इससे आपको सरलता से श्वास लेने और आराम का अनुभव करने मेँ सहायता मिल सकती है।

हमेँ फल, सब्जी (शाक), साबुत अनाज, और अंडे का संतुलित भोजन करना चाहिए। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार जैसे बेरीज, संतरे, और पत्तेदार हरी सब्जियोँ जैसे आहार हमारे लिए अच्छेँ हैँ। कभी-कभार मछली तथा मांस का सेवन भी कुछेक लोगोँ के लिए आवश्यक हो सकता है।

नोट: जिंक पिकोलिनेट, जिंक ग्लूकोनेट, और जिंक साइट्रेट सामान्यत: अच्छी तरह से अवशोषित होते हैँ और जिंक सप्लीमेंट्स के पसंदीदा प्रकार हैँ। जिंक एसिटेट पहले उल्लिखित प्रकारोँ की तुलना मेँ कम अवशोषित होता है। जिंक सल्फेट का उपयोग तब ही करेँ जब अन्य रूप/प्रकार आपके आसपास उपलब्ध न होँ।




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अंतिम सम्पादन : जैनुअरी २४

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